सुप्रीम कोर्ट वक्फ़ एक्ट पर आज एक महत्वपूर्ण मोड़ आया जब अदालत ने संशोधित वक्फ़ कानून के कुछ हिस्सों पर अंतरिम रोक लगाने का संकेत दिया। हालांकि, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा अतिरिक्त समय की मांग और आपत्ति के बाद यह फैसला फिलहाल टाल दिया गया। अदालत अब इस मामले की अगली सुनवाई कल दोपहर 2 बजे करेगी।
तीन जजों की खंडपीठ — जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति संजीव खन्ना कर रहे हैं — ने तीन अहम मुद्दों को चिन्हित किया, जिन पर status quo यानी यथास्थिति बनाए रखने की बात कही गई। ये वे प्रक्रियाएँ हैं जिनमें हाल ही में नियमों में संशोधन हुआ है, और अदालत ने इन पर अंतरिम रोक की मंशा जताई।
- जिन संपत्तियों को किसी व्यक्ति द्वारा या अदालत द्वारा वक्फ घोषित किया गया है, उन्हें अब अधिसूचित नहीं किया जाएगा।
- ज़िलाधिकारी द्वारा चल रही कार्यवाहियां जारी रह सकती हैं, लेकिन नया संशोधित प्रावधान उन पर लागू नहीं होगा।
- वक्फ बोर्ड में ‘एक्स-ऑफिसियो’ सदस्य किसी भी धर्म के हो सकते हैं, लेकिन अन्य सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए।
जस्टिस खन्ना ने कहा, “हम आमतौर पर ऐसे अंतरिम आदेश नहीं देते, लेकिन यह मामला अपवाद है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले की सुनवाई छह से आठ महीने तक चल सकती है।
जब अदालत ने यह संकेत दिया कि वह इन बिंदुओं पर अंतरिम आदेश पारित कर सकती है, तब केंद्र और राज्य सरकारों ने विरोध दर्ज किया और अपना पक्ष पूरी तरह रखने के लिए समय की मांग की। अदालत ने 30 मिनट अतिरिक्त देने की पेशकश की, लेकिन समयाभाव के चलते सुनवाई स्थगित कर दी गई।
यह मामला उस वक्फ संशोधन कानून से जुड़ा है जिसे हाल ही में संसद में पारित किया गया है। विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने इस कानून को संविधान के मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं।
याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि यह कानून समानता के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। इन याचिकाओं में कुछ ने कानून को पूरी तरह रद्द करने की मांग की है, जबकि कुछ ने उस पर रोक लगाने की गुज़ारिश की है।
अब सबकी निगाहें कल की सुनवाई पर हैं। क्या सुप्रीम कोर्ट संशोधित वक्फ़ कानून पर अंतरिम आदेश जारी करेगा या केंद्र और राज्य सरकारों की आपत्तियों के बाद कोई नया रुख अपनाएगा — यह देखने वाली बात होगी।