टैरिफ की मार अब अमेरिका के भीतर भी हलचल मचा रही है। कैलिफोर्निया ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसलों को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए संघीय अदालत में मुकदमा दर्ज किया है। राज्य का कहना है कि इन नीतियों से न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है, बल्कि हज़ारों नौकरियों पर संकट मंडरा रहा है।
कैलिफोर्निया का आरोप है कि टैरिफ लगाने का संवैधानिक अधिकार कांग्रेस को है, न कि राष्ट्रपति को। ट्रंप ने International Emergency Economic Powers Act का इस्तेमाल करते हुए सभी देशों से आयातित वस्तुओं पर 10% तक का टैरिफ लगाया, जबकि चीन जैसे देशों पर यह दर 245% तक पहुंच गई। जवाब में चीन ने अमेरिका पर 125% टैरिफ लगाया और यूरोपीय संघ ने भी जवाबी कर लगाने की अनुमति दी।
कैलिफोर्निया अमेरिका का सबसे बड़ा आयातक राज्य है, जहाँ 12 बंदरगाहों के ज़रिए कुल अमेरिकी आयात का 40% होता है। 2022 में इसका कृषि निर्यात $23.6 बिलियन था, जो अब टैरिफ के कारण खतरे में है। इससे किसानों, बंदरगाह मजदूरों और सप्लाई चेन से जुड़े हज़ारों लोगों की रोज़ी-रोटी पर असर पड़ा है।
नए टैरिफ का असर सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं रहा। शेयर बाज़ार और बॉन्ड मार्केट में भारी गिरावट आई, जिससे अरबों डॉलर की पूंजी नष्ट हो गई। निवेशकों में भय और बाजार में अस्थिरता बढ़ गई।
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता कुश देसाई ने कैलिफोर्निया के गवर्नर गैविन न्यूज़म पर पलटवार करते हुए कहा, “उन्हें अपने राज्य की असली समस्याओं जैसे अपराध, बेघरपन और महंगाई पर ध्यान देना चाहिए, न कि राष्ट्रपति की वैध आर्थिक नीतियों पर अंगुली उठानी चाहिए।”
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अदालत कैलिफोर्निया के पक्ष में फैसला देती है, तो इससे ट्रंप जैसे राष्ट्रपति की टैरिफ लगाने की शक्ति सीमित हो सकती है। यह मुकदमा राष्ट्रपति और कांग्रेस की शक्तियों की संवैधानिक सीमा को स्पष्ट कर सकता है।