पटना:बिहार विधानसभा के बाहर आज कांग्रेस पार्टी के अंदर एक नया सियासी दृश्य सामने आया। तेजस्वी के नाम पर कांग्रेस में मतभेद साफ तौर पर देखने को मिला, जब पार्टी के दो वरिष्ठ नेता मुख्यमंत्री पद को लेकर आमने-सामने आ गए।
कांग्रेस विधायकों की सार्वजनिक टकराव से उभरा तेजस्वी के नाम पर मतभेद
कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए वरिष्ठ नेता अजित शर्मा ने कहा कि कांग्रेस और राजद मिलकर आगामी बिहार चुनाव लड़ेंगे, लेकिन मुख्यमंत्री का चेहरा अभी तय नहीं है। उन्होंने कहा कि इस पर अंतिम फैसला कांग्रेस आलाकमान — मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी — चुनाव के बाद लेंगे।
लेकिन इसी बीच कांग्रेस विधायक मुन्ना तिवारी ने अजित शर्मा की बात काटते हुए जोर देकर कहा,
“2020 में भी तेजस्वी ही चेहरा थे और 2025 में भी वही रहेंगे। इसमें कोई कन्फ्यूजन नहीं है।”
उनके इस बयान से साफ हो गया कि तेजस्वी के नाम पर कांग्रेस में मतभेद सिर्फ अंदरूनी बात नहीं, बल्कि अब सार्वजनिक भी हो चुका है।
सीएम पद पर राय नहीं एक: गठबंधन में दिखी दरार की आहट
इस घटनाक्रम ने बिहार की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। एक तरफ INDIA गठबंधन के नेता एकजुट होकर चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं, वहीं तेजस्वी के नाम पर कांग्रेस में मतभेद अब खुलकर सामने आ रहा है।
हालांकि बाद में अजित शर्मा ने सफाई दी कि तेजस्वी यादव विपक्ष के नेता हैं और कांग्रेस उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। लेकिन उन्होंने यह भी दोहराया कि मुख्यमंत्री पद का फैसला चुनाव जीतने के बाद सभी सहयोगी दलों की सहमति से होगा।
क्या कांग्रेस अंदर से बंटी हुई है?
कांग्रेस के भीतर चल रही इस खींचतान ने यह संकेत जरूर दे दिया है कि तेजस्वी के नाम पर कांग्रेस में मतभेद आने वाले चुनाव में गठबंधन की रणनीति को प्रभावित कर सकते हैं। यदि समय रहते पार्टी नेतृत्व स्पष्ट रुख नहीं अपनाता, तो यह मुद्दा NDA के लिए राजनीतिक हथियार बन सकता है।