तेजस्वी यादव का मुख्यमंत्री बनना तय—इस वाक्य के साथ राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने बिहार की सियासत में चुनावी तापमान बढ़ा दिया है। 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन के भीतर तालमेल की कोशिशें जारी हैं, लेकिन पोस्टर वार के जरिए आरजेडी ने यह जता दिया है कि उनके लिए मुख्यमंत्री पद का चेहरा तय है—तेजस्वी यादव।
पटना की सड़कों और आरजेडी कार्यालय के आस-पास लगाए गए इन पोस्टरों में तेजस्वी यादव की बड़ी तस्वीर के साथ भावनात्मक और रणनीतिक दोनों ही संदेश छिपे हैं। पोस्टर में लिखा है—“उम्मीद की किरण है तेजस्वी, भरोसे का नाम है तेजस्वी, बिहार को खुशहाली की राह पर तेजस्वी ही लाएंगे। जैसे सूरज का पूरब से निकलना सत्य है, वैसे ही 2025 में तेजस्वी का मुख्यमंत्री बनना तय है।”
इस नारे के जरिए आरजेडी न सिर्फ जनता में एक मजबूत छवि पेश कर रही है, बल्कि अपने सहयोगी कांग्रेस पार्टी पर भी दबाव बना रही है। अब तक कांग्रेस तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का सर्वसम्मत चेहरा मानने से परहेज करती दिख रही है। हालांकि दिल्ली में मल्लिकार्जुन खरगे और तेजस्वी की मुलाकात और फिर पटना में हुई महागठबंधन की बैठक इस दिशा में प्रयास जरूर हैं, लेकिन अभी तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है।
आरजेडी नेत्री संजू कोहली की ओर से जारी इन पोस्टरों के माध्यम से पार्टी ने NDA को भी जवाब दिया है, जो लगातार यह आरोप लगा रही है कि महागठबंधन के अंदर ही एकजुटता नहीं है और तेजस्वी को सभी घटक दलों का समर्थन प्राप्त नहीं है। हालांकि, समन्वय समिति की जिम्मेदारी तेजस्वी यादव को दी जा चुकी है, जो चुनावी रणनीति, प्रचार और सीट बंटवारे जैसे मुद्दों पर फैसला लेगी।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल अब भी वहीं है—क्या महागठबंधन तेजस्वी यादव के नाम पर एकमत है? आरजेडी का पोस्टर वार इसी सवाल का जवाब देने की कोशिश है। पार्टी का इशारा साफ है कि तेजस्वी को अब पीछे नहीं किया जा सकता।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आरजेडी कांग्रेस को यह स्पष्ट संदेश देना चाहती है कि महागठबंधन की सफलता तेजस्वी की लोकप्रियता और नेतृत्व क्षमता पर ही टिकी है। और यही वजह है कि पोस्टरों में तेजस्वी को ‘उम्मीद की किरण’ और ‘भरोसे का नाम’ कहा गया है।
बिहार की सियासत में पोस्टर राजनीति कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार यह लड़ाई सिर्फ NDA बनाम महागठबंधन तक सीमित नहीं, बल्कि महागठबंधन के अंदर नेतृत्व को लेकर भी एक अंदरूनी संघर्ष की झलक दे रही है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस इन पोस्टरों के दबाव में आकर तेजस्वी को खुला समर्थन देती है, या फिर कोई नया मोड़ सामने आता है।