“अमेरिका में TikTok के भविष्य को लेकर अनिश्चितता अभी खत्म नहीं हुई है, लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से मिली 75 दिनों की नई मोहलत ने इस मशहूर वीडियो ऐप को थोड़ी राहत जरूर पहुंचाई है। फिलहाल यह ऐप अमेरिका में कुछ और वक्त तक सक्रिय रहेगा — बशर्ते तय समयसीमा में कोई खरीदार मिल जाए और चीन-अमेरिका की राजनीतिक खींचतान कोई नया मोड़ न ले।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर लिखा, “हम नहीं चाहते कि TikTok गायब हो जाए। हम चीन और TikTok के साथ मिलकर इस सौदे को पूरा करना चाहते हैं।” यह बयान उनकी इस डील के प्रति गंभीरता को दर्शाता है और यह भी कि वे ऐप को बंद करने के पक्ष में नहीं हैं, बल्कि इसे अमेरिकी जमीन पर बनाए रखने का रास्ता तलाश रहे हैं।
फिलहाल TikTok की मालिकाना हक चीनी कंपनी ByteDance के पास है। अमेरिकी संसद ने पिछले साल एक कानून पारित किया था, जिसके तहत ByteDance को TikTok की अमेरिकी शाखा को बेचने के लिए छह महीने का समय दिया गया था। इस दौरान सौदा नहीं हो सका, और अब ट्रंप प्रशासन ने दूसरी बार डेडलाइन बढ़ा दी है।
सूत्रों के अनुसार, हाल ही में एक संभावित समझौता लगभग तय था, लेकिन उसी दिन ट्रंप ने चीन पर नए वैश्विक टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी। इसके जवाब में चीन ने स्पष्ट किया कि जब तक टैरिफ पर बातचीत नहीं होती, वह इस डील को मंजूरी नहीं देगा। ByteDance ने भी व्हाइट हाउस को बता दिया कि जब तक दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन नहीं बनता, तब तक डील आगे नहीं बढ़ेगी।
यह मामला अब सिर्फ एक ऐप तक सीमित नहीं रहा। TikTok अब एक ऐसा डिजिटल मैदान बन गया है, जहां दो वैश्विक शक्तियों — अमेरिका और चीन — के बीच आर्थिक और राजनीतिक तनाव साफ दिखाई देता है। एक ओर अमेरिका डेटा सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंतित है, वहीं दूसरी तरफ चीन अपने बाजार और अधिकारों को लेकर सतर्क है। इस संघर्ष के बीच में हैं करोड़ों अमेरिकी यूज़र्स, जिनके लिए TikTok केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि रोज़गार और अपनी आवाज़ उठाने का ज़रिया भी है।
TikTok के संभावित खरीदारों की सूची भी काफी रोचक है। Amazon ने अंत समय में इसमें रुचि दिखाई है, वहीं अरबपति Frank McCourt, Reddit के को-फाउंडर Alexis Ohanian, और निवेशक Kevin O’Leary भी इसमें दिलचस्पी दिखा रहे हैं। Microsoft, Blackstone, Andreessen Horowitz और Perplexity AI जैसी दिग्गज कंपनियों के नाम भी चर्चा में हैं। व्हाइट हाउस का कहना है कि चार समूहों के साथ बातचीत जारी है, हालांकि कोई आधिकारिक ऐलान अब तक नहीं हुआ है।
इस बीच, एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि क्या TikTok पर प्रतिबंध लगाना अमेरिका जैसे देश के फ्री स्पीच के सिद्धांतों से टकराता है? एक ऐसे राष्ट्र में जहां अभिव्यक्ति की आज़ादी लोकतंत्र की आत्मा मानी जाती है, वहां इतने बड़े प्लेटफॉर्म को बंद करना कई लोगों के लिए चिंता का विषय बन गया है।
ट्रंप ने इशारा किया है कि यदि चीन TikTok की बिक्री को मंजूरी देता है, तो अमेरिका टैरिफ में कुछ नरमी लाने पर विचार कर सकता है। उनके शब्दों में, “टैरिफ हमारी सबसे प्रभावी आर्थिक नीति है और यह हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है।”
अब देखना यह होगा कि क्या यह डील वास्तव में किसी नतीजे तक पहुंच पाती है या नहीं। और अगर ऐसा होता है, तो क्या इस पूरी प्रक्रिया में राजनीति, व्यापार और तकनीक के बीच कोई संतुलन बन पाएगा? इतना तो तय है कि TikTok अब सिर्फ एक ऐप नहीं रहा, बल्कि यह एक ऐसे वैश्विक सत्ता संघर्ष की झलक बन चुका है, जो भविष्य में तकनीकी और कूटनीतिक संबंधों की दिशा तय कर सकता है।”