वैश्विक व्यापार जगत में उस वक्त भूचाल आ गया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत कई देशों पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी। इस फैसले के तहत भारत पर 26% का नया टैरिफ लगाया गया, जिससे भारतीय उद्योग जगत को गहरी चोट लगने की आशंका जताई जा रही है। इस घोषणा के बाद देश में राजनीतिक घमासान तेज हो गया, और विपक्ष ने मोदी सरकार की कूटनीतिक नीतियों पर सवाल उठाने शुरू कर दिए।
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने सरकार पर तंज कसते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा,
“यार ने ही लूट लिया घर यार का। हमारी सरकार ने लाल कालीन बिछाई, लेकिन क्या सिला मिला!”
उनका इशारा अमेरिका के साथ मोदी सरकार के मैत्रीपूर्ण संबंधों की ओर था, जिनका परिणाम अब इस आर्थिक झटके के रूप में सामने आया है।
क्या भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा बड़ा असर?
राघव चड्ढा का मानना है कि ट्रंप के इस फैसले से भारतीय अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि चीन के उत्पादन शुल्क में पहले से ही लचीलापन होने के कारण इस फैसले का उस पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन भारत के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
विपक्ष का आरोप है कि सरकार अमेरिका के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने में विफल रही है, जिसके चलते भारत को अब इस बड़े टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है।
व्हाइट हाउस से ट्रंप की घोषणा – ‘अमेरिकी उद्योग का पुनर्जन्म’
2 अप्रैल 2025 को व्हाइट हाउस के रोज़ गार्डन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विभिन्न देशों पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा की। उन्होंने इस फैसले को अमेरिकी उद्योग का पुनर्जन्म बताते हुए कहा:
“आज का दिन अमेरिका के लिए ऐतिहासिक है। यह वह क्षण है जब अमेरिका के भाग्य का पुन: उदय हुआ। अब हम अमेरिका को और अधिक समृद्ध, महान और शक्तिशाली बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका अन्य देशों से केवल 2.4% शुल्क लेता है, जबकि भारत और अन्य देशों में यह दर बहुत अधिक है।
ट्रंप ने विभिन्न देशों द्वारा लिए जाने वाले शुल्क का उल्लेख करते हुए कहा:
- भारत – 70% शुल्क
- वियतनाम – 75% शुल्क
- थाईलैंड – 60% शुल्क
भारत को लेकर ट्रंप के तल्ख तेवर
राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने संबोधन में भारत को ‘कठोर’ बताते हुए कहा कि भारत अमेरिका से बहुत ज्यादा शुल्क वसूलता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए कहा:
“प्रधानमंत्री मोदी मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं, लेकिन मैंने उनसे कहा— ‘आप मेरे दोस्त हैं, लेकिन आप हमारे साथ सही व्यवहार नहीं कर रहे हैं। भारत हमसे 52% शुल्क वसूलता है, जबकि हमने दशकों तक उनसे कुछ भी नहीं लिया।’”
सरकार की चुप्पी, विपक्ष के सवाल
इस बड़े आर्थिक फैसले पर भारत सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, विपक्षी दल लगातार सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठा रहे हैं।
राघव चड्ढा समेत कई विपक्षी नेताओं ने पूछा कि यदि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध इतने प्रगाढ़ थे, तो फिर भारत को इस तरह के भारी टैरिफ का सामना क्यों करना पड़ रहा है?
अब सबकी निगाहें मोदी सरकार की अगली रणनीति पर टिकी हैं। क्या भारत इस चुनौती का कूटनीतिक समाधान निकाल पाएगा, या फिर यह सरकार की एक और असफलता मानी जाएगी?