ट्रंप टैरिफ नीति का असर अब वैश्विक स्तर पर दिखने लगा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित भारी शुल्कों की नीति ने शेयर बाजारों में भूचाल ला दिया है। दो दिनों के भीतर अमेरिकी बाजारों से 6.6 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की पूंजी साफ हो गई है, जबकि एशियाई बाजारों में भी सोमवार की शुरुआत बड़ी गिरावट के साथ हुई। इस फैसले के बाद अमेरिकी स्टॉक फ्यूचर्स में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई, जिससे दुनियाभर के निवेशकों में घबराहट का माहौल है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने हालांकि स्पष्ट किया है कि उनका उद्देश्य बाजार को गिराना नहीं है, बल्कि अमेरिका के दीर्घकालिक आर्थिक हितों की रक्षा करना है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “मैं नहीं चाहता कि बाजार गिरे, लेकिन कभी-कभी किसी बीमारी को ठीक करने के लिए कड़वी दवा लेनी पड़ती है।” उन्होंने अपनी टैरिफ नीति को उसी दवा की तरह बताया जो अभी भले ही कड़वी लग रही हो, लेकिन आगे जाकर इसके सकारात्मक परिणाम दिखाई देंगे।
ट्रंप ने चीन के खिलाफ 34% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जो पहले से मौजूद 20% शुल्क के अतिरिक्त है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर 34% का जवाबी शुल्क लगा दिया है। दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध की स्थिति बन चुकी है, और इसके परिणामस्वरूप बाजारों में अस्थिरता बढ़ गई है। ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका का व्यापार घाटा चीन, यूरोपीय संघ और अन्य देशों के साथ लगातार बढ़ता गया है और अब उसे रोकना बेहद ज़रूरी हो गया है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “टैरिफ अमेरिका के लिए एक खूबसूरत चीज़ है। इससे हमें अरबों डॉलर की आमदनी हो रही है और यह हमारे व्यापार घाटे को कम करने में मदद करेगा।” साथ ही उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि “हमारे देश को पिछली कमजोर नेतृत्व वाली सरकारों ने वैश्विक व्यापार में नुकसान पहुंचाया है, अब वक्त है उस स्थिति को बदलने का।”
इस नीति के लागू होने के बाद अमेरिकी कस्टम एजेंसियों ने शनिवार से 10% टैरिफ वसूलना शुरू कर दिया है। वहीं, बुधवार रात 12:01 बजे (भारतीय समयानुसार गुरुवार सुबह 9:30 बजे) से कई देशों पर 11% से लेकर 50% तक के उच्च दर वाले टैरिफ प्रभावी हो जाएंगे।
ट्रंप ने यह भी कहा कि जब तक चीन के साथ व्यापार घाटा पूरी तरह खत्म नहीं होता, तब तक कोई समझौता नहीं होगा। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने यूरोप और एशिया के कई नेताओं से बात की है और वे सभी अमेरिका के साथ समझौता करने को तैयार हैं, क्योंकि कोई भी देश अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंध खत्म नहीं करना चाहता।
इस पूरे घटनाक्रम ने वैश्विक निवेशकों को सतर्क कर दिया है। जहां एक ओर कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप की यह नीति अमेरिका की अर्थव्यवस्था को दीर्घकाल में मजबूती दे सकती है, वहीं अल्पकाल में इससे अनिश्चितता और अस्थिरता बनी रहेगी।
ट्रंप टैरिफ नीति को लेकर फिलहाल कोई ठोस समझौता सामने नहीं आया है और इस कारण अगले कुछ सप्ताह तक बाजारों में उतार-चढ़ाव बने रहने की आशंका जताई जा रही है। लेकिन ट्रंप की मंशा साफ है – वे किसी भी कीमत पर अमेरिका के आर्थिक हितों को प्राथमिकता देना चाहते हैं, भले ही उसकी कीमत अभी बाजारों को चुकानी पड़े।