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बाबा राज में यूपी का सच: आम लोग बेहाल, अपराधी मालामाल

बाबा जी के राज में यूपी में स्कूल बंद, ठेके चमकदार, बिजली महंगी और कानून लाचार हो गया है। जनता बेहाल है और अपराधी बेखौफ, क्या यही रामराज है या रा-वन राज का ट्रेलर?

बाबा राज में यूपी बदल रहा है। स्कूल बंद हो रहे हैं, शराब के ठेके स्मार्ट होते जा रहे हैं। बिजली का रेट बढ़ रहा है और इंसानी खून सड़कों पर मुफ्त में बह रहा है। लड़की के साथ छेड़खानी का विरोध करने पर खुद इंस्पेक्टर पिट रहे हैं। भ्रष्टाचारी निरंकुश हो रहे हैं, ये कैसा बदलाव है?

कभी सुना था कि रामराज में प्रजा सुखी होती है, न्याय सबको मिलता है, और राजा खुद को जनता का सेवक मानता है। लेकिन इधर जो ‘बाबा राज’ चल रहा है, वो तो रामराज के नाम पर राम का ही अपमान कर रहा है। यहां न प्रजा सुखी है, न न्याय का कोई अता-पता। स्कूलों में ज्ञान की मशाल बुझ रही है, और हर चौराहे पर शराब के ठेके जगमगा रहे हैं। बच्चों के भविष्य को लेकर कहीं कोई योजना नहीं दिखती, लेकिन शराब के ठेके “स्मार्ट सिटी” की तरह डिज़ाइन हो रहे हैं।

बिजली का हाल ऐसा है कि आम आदमी बिल देखकर ही अंधेरे में चला जाता है। दिन में बिजली लुका-छिपी खेलती है, और रात को मीटर इतनी तेज़ दौड़ता है कि लगता है जैसे ओलंपिक की तैयारी कर रहा हो।

अब बात करें कानून व्यवस्था की, तो वो इतनी “मज़बूत” है कि अगर कोई इंस्पेक्टर किसी लड़की के साथ छेड़छाड़ का विरोध करे, तो खुद ही पिट जाता है। फिर आम आदमी तो किस खेत की मूली है! अपराधियों को न कानून का डर है, न भगवान का। उल्टा पीड़िता ही सवालों के घेरे में खड़ी होती है, और दरिंदा किसी स्मार्ट ठेके में चैन से पार्टी करता है।

भ्रष्टाचार अब विभागों का गहना बन चुका है। अधिकारी अपनी कुर्सी को दुकान समझकर बैठते हैं, और जनता ग्राहक बनकर रिश्वत देकर “सेवा” खरीदती है। ईमानदार अफसरों को या तो सस्पेंड करवा दिया जाता है, या ट्रांसफर कर दिया जाता है, या साइड पोस्टिंग में डाल दिया जाता है। लगता है इस शासन में ईमानदारी सबसे बड़ा अपराध बन गई है।

और सबसे बड़ी बात, इंसान की जान अब सबसे सस्ती चीज़ हो गई है। खून सड़कों पर बहता है, खबर बनता है, और फिर भुला दिया जाता है। जांच और इंसाफ अब दूर की कौड़ी बन चुके हैं।

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अब बताइए, क्या यही रामराज है…?
जहां राजा अपने चहेतों के भ्रष्टाचार और अपराध पर आंखें मूंदे बैठा है। यहां जनता सड़क पर संघर्ष कर रही है, और शासन “इवेंट मैनेजमेंट” में व्यस्त है।

तंज में कहें तो बाबा जी के राज में रामराज नहीं, “रा-वन राज” का ट्रेलर चल रहा है, जहां असत्य, अन्याय, भ्रष्टाचार और अराजकता की चौतरफा भसड़ मची है। फर्क सिर्फ इतना है कि इस रा-वन के दस सिर नहीं हैं।

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अनिल यादव एक वरिष्ठ पत्रकार हैं जो Anil Yadav Ayodhya के नाम से जाने जाते हैं। अनिल यादव की कलम सच्चाई की गहराई और साहस की ऊंचाई को छूती है। सामाजिक न्याय, राजनीति और ज्वलंत मुद्दों पर पैनी नज़र रखने वाले अनिल की रिपोर्टिंग हर खबर को जीवंत कर देती है। उनके लेख पढ़ने के लिए लगातार OBC Awaaz से जुड़े रहें, और ताज़ा अपडेट के लिए उन्हें एक्स (ट्विटर) पर भी फॉलो करें।

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