उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरुआत में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। सरकार ने तय किया है कि इस बार ओबीसी वर्ग को पंचायतों में आरक्षण देने के लिए एक अलग राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (OBC Commission) बनाया जाएगा।
इस आयोग का काम होगा यह तय करना कि किन पंचायतों में ओबीसी को आरक्षण मिलना चाहिए, और ये सब कुछ सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए ‘ट्रिपल टेस्ट’ के नियमों के मुताबिक किया जाएगा।
ट्रिपल टेस्ट क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ओबीसी आरक्षण यूं ही नहीं दिया जा सकता, इसके लिए तीन ज़रूरी बातें पूरी करनी होंगी:
- पिछड़ेपन का सही आकलन: यानी किसी पंचायत में ओबीसी की सामाजिक स्थिति कैसी है, इसका अध्ययन किया जाए।
- जनसंख्या का आंकड़ा: उस पंचायत में ओबीसी कितने लोग हैं, इसका सही डेटा तैयार हो।
- कुल आरक्षण 50% से ज्यादा न हो: एससी, एसटी और ओबीसी को मिलाकर आरक्षण 50% से ऊपर नहीं जा सकता।
सरकार ने क्या शुरू कर दिया है?
- पंचायती राज विभाग ने आयोग बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
- पहले पंचायतों का नक्शा (परिसीमन) बदला जाएगा।
- फिर तय किया जाएगा कि किन पंचायतों में किस वर्ग को आरक्षण मिलेगा।
- इस बार ओबीसी के साथ-साथ जिन वर्गों को अब तक आरक्षण नहीं मिला है, उन्हें भी ध्यान में रखा जाएगा।
पिछली बार क्या हुआ था
2023 के नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण को लेकर काफी विवाद हुआ था।
हाई कोर्ट ने चुनाव पर रोक लगा दी थी क्योंकि सरकार ने पुराने फार्मूले पर काम किया था।
बाद में आयोग बना, रिपोर्ट आई, तब जाकर चुनाव हुए।
अब सरकार उसी गलती को दोहराना नहीं चाहती, इसलिए पहले से ही सही प्रक्रिया अपनाने में जुट गई है।
ओम प्रकाश राजभर ने क्या कहा?
पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा:
ओबीसी के आरक्षण और सर्वे को सही तरीके से करने के लिए एक अलग आयोग बनाया जाएगा। परिसीमन के बाद आरक्षण तय होगा।
उन्होंने कहा कि इस बार कोशिश रहेगी कि हर उस पंचायत को आरक्षण मिले जो अब तक इससे वंचित रही है।
क्या बदलेगा इस बार?
- पिछली बार 1995 के आंकड़ों पर आरक्षण दिया गया था।
- कोर्ट ने कहा था, 2015 के आंकड़े सही हैं।
- इस बार सरकार हर वर्ग को न्याय देने की योजना बना रही है।
- पंचायत चुनाव से पहले पूरा होमवर्क किया जा रहा है।