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मिडिल ईस्ट में US बेस हाई अलर्ट पर

ईरान-अमेरिका तनाव के बीच मिडिल ईस्ट में अमेरिका के प्रमुख सैन्य ठिकाने अलर्ट पर हैं, जिनमें कतर, बहरीन, यूएई, कुवैत, इराक और सऊदी बेस शामिल हैं।

ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले के बाद, पूरे मध्य पूर्व में अमेरिकी सैन्य ठिकानों की सुरक्षा और रणनीतिक महत्व चर्चा में आ गए हैं। ईरान ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका या इज़राइल ने कोई और कार्रवाई की, तो वह सीधे इन अमेरिकी बेस को निशाना बना सकता है। आइए जानते हैं, मिडिल ईस्ट में अमेरिका के कौन-कौन से प्रमुख सैन्य ठिकाने हैं और उनकी क्या अहमियत है।

क़तर अल उदैद एयर बेस सबसे बड़ा अमेरिकी सैन्य अड्डा

क़तर की राजधानी दोहा के पास स्थित अल उदैद एयर बेस अमेरिका का मिडिल ईस्ट में सबसे बड़ा और अहम ठिकाना है। यहां करीब 10,000 अमेरिकी सैनिक तैनात रहते हैं। यह बेस अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) का फॉरवर्ड हेडक्वार्टर भी है। यहां से अमेरिका अपने लड़ाकू विमान, बमवर्षक, ड्रोन, टैंकर और मिसाइल डिफेंस सिस्टम ऑपरेट करता है। हाल ही में ईरान ने इसी बेस पर मिसाइल हमले की कोशिश की थी, जिससे इसकी संवेदनशीलता और बढ़ गई है।

बहरीन नेवल सपोर्ट एक्टिविटी अमेरिकी नौसेना का गढ़

बहरीन की राजधानी मनामा में स्थित नेवल सपोर्ट एक्टिविटी बेस अमेरिकी नौसेना की पांचवीं फ्लीट का मुख्यालय है। यहां करीब 9,000 अमेरिकी सैनिक और अधिकारी तैनात हैं। यह बेस अमेरिकी युद्धपोतों, एयरक्राफ्ट कैरियर, लॉजिस्टिक शिप्स और समुद्री गश्ती विमानों (P-8 Poseidon) का संचालन केंद्र है। फारस की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर में अमेरिकी समुद्री ताकत का सबसे बड़ा आधार यही है।

कुवैत कैंप अरिफजान, अली अल सलेम एयर बेस और कैंप बुएरिंग

कुवैत में अमेरिका के कई प्रमुख सैन्य अड्डे हैं। कैंप अरिफजान अमेरिकी थलसेना (US Army) का मुख्यालय है, जबकि अली अल सलेम एयर बेस से अमेरिकी एयरफोर्स अपने ड्रोन और कार्गो विमान ऑपरेट करती है। कैंप बुएरिंग इराक और सीरिया में तैनात अमेरिकी सेना के लिए लॉजिस्टिक हब का काम करता है। यहां हजारों अमेरिकी सैनिक हर वक्त तैनात रहते हैं।

यूएई अल धफरा एयर बेस  खाड़ी में अमेरिकी एयरफोर्स का केंद्र

अबू धाबी के पास स्थित अल धफरा एयर बेस अमेरिकी वायुसेना की 380वीं एयर एक्सपेडिशनरी विंग का घर है। यहां MQ-9 Reaper ड्रोन, फाइटर जेट्स, टैंकर और अर्ली वॉर्निंग एयरक्राफ्ट तैनात हैं। यह बेस खाड़ी क्षेत्र में अमेरिकी हवाई अभियानों, इंटेलिजेंस और ट्रेनिंग का अहम केंद्र है। दुबई का जेबेल अली पोर्ट भी अमेरिकी नौसेना के जहाजों के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट देता है।

इराक अल असद और एरबिल एयर बेस  ISIS और ईरान दोनों पर नजर

इराक में अमेरिकी सैनिक अल असद और एरबिल एयर बेस पर तैनात हैं। अल असद बेस इराकी सेना और नाटो मिशनों का समर्थन करता है। 2020 में ईरान ने इसी बेस पर मिसाइल हमला किया था। एरबिल बेस कुर्दिश इलाके में है, जहां से अमेरिकी सेना ISIS के खिलाफ अभियान और इंटेलिजेंस साझा करती है।

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सऊदी अरब प्रिंस सुल्तान एयर बेस – मिसाइल डिफेंस और एयरफोर्स का हब

रियाद के पास स्थित प्रिंस सुल्तान एयर बेस में अमेरिकी वायुसेना की 378वीं विंग तैनात है। यहां से टैंकर, फाइटर जेट्स, पैट्रियट और THAAD मिसाइल डिफेंस सिस्टम ऑपरेट होते हैं। करीब 2,300 अमेरिकी सैनिक इस बेस पर तैनात हैं।

क्यों हैं ये बेस रणनीतिक रूप से अहम

मिडिल ईस्ट में अमेरिकी सैन्य ठिकाने न सिर्फ क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए जरूरी हैं, बल्कि ईरान, रूस और चीन जैसी ताकतों को संतुलित करने के लिए भी अहम हैं। मौजूदा हालात में ये बेस हाई अलर्ट पर हैं और किसी भी ईरानी जवाबी कार्रवाई का पहला निशाना बन सकते हैं। यही वजह है कि अमेरिका और उसके सहयोगी इन बेस की सुरक्षा और ऑपरेशनल तैयारियों को लेकर बेहद सतर्क हैं।

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रीतु कुमारी OBC Awaaz की एक उत्साही लेखिका हैं, जिन्होंने अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई बीजेएमसी (BJMC), JIMS इंजीनियरिंग मैनेजमेंट एंड टेक्निकल कैंपस ग्रेटर नोएडा से पूरी की है। वे समसामयिक समाचारों पर आधारित कहानियाँ और रिपोर्ट लिखने में विशेष रुचि रखती हैं। सामाजिक मुद्दों को आम लोगों की आवाज़ बनाकर प्रस्तुत करना उनका उद्देश्य है। लेखन के अलावा रीतु को फोटोग्राफी का शौक है, और वे एक अच्छी फोटोग्राफर बनने का सपना भी देखती है। रीतु अपने कैमरे के ज़रिए समाज के अनदेखे पहलुओं को उजागर करना चाहती है।

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