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हूल दिवस पर साहिबगंज में हिंसक झड़प

साहिबगंज में हूल दिवस कार्यक्रम के दौरान आदिवासियों और पुलिस में झड़प, पथराव और लाठीचार्ज में कई घायल, भाजपा ने सरकार को घेरा।

झारखंड के साहिबगंज जिले के भोगनाडीह में हूल क्रांति दिवस के मौके पर बड़ा बवाल हुआ। बिना अनुमति कार्यक्रम आयोजित करने को लेकर पुलिस और आदिवासियों के बीच तनाव इतना बढ़ गया कि मामला हिंसक झड़प में बदल गया। पथराव, लाठीचार्ज और आंसू गैस की वजह से कई लोग घायल हुए। घटना के बाद राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है और भाजपा ने हेमंत सोरेन सरकार पर सीधा निशाना साधा है।

कार्यक्रम की अनुमति से इंकार के बाद विवाद गहराया

भोगनाडीह में हर साल हूल क्रांति दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार सिदो कान्हू मुर्मू हूल फाउंडेशन ने कार्यक्रम का आयोजन किया था जिसमें भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था। फाउंडेशन ने इसके लिए जिला प्रशासन से पूर्व अनुमति मांगी थी लेकिन प्रशासन ने कार्यक्रम को लेकर इजाजत नहीं दी।

प्रशासन के मना करने के बावजूद सोमवार को फाउंडेशन ने कार्यक्रम आयोजित किया और टेंट आदि की व्यवस्था की। जब पुलिस मौके पर पहुंची और टेंट हटाने की कोशिश की तो स्थानीय लोगों का गुस्सा भड़क गया।

पथराव और तीर चलने से हालात बेकाबू

पुलिस की कार्रवाई के विरोध में आदिवासी ग्रामीणों ने पथराव शुरू कर दिया। कुछ लोगों ने तीर भी चलाए जिससे पुलिसकर्मियों को पीछे हटना पड़ा। स्थिति को संभालने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े।

यह झड़प काफी देर तक चलती रही जिसमें कई ग्रामीण और पुलिसकर्मी घायल हो गए। जिला प्रशासन के अनुसार तीन पुलिसकर्मियों को गंभीर चोटें आई हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इलाके में तनाव बरकरार है और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। साहिबगंज के डिप्टी कमिश्नर हेमंत सती और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद हैं और स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।

भाजपा ने सरकार को घेरा

इस घटना को लेकर भाजपा ने हेमंत सोरेन सरकार पर हमला बोला है। झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया पर घटना का वीडियो साझा करते हुए लिखा कि हूल दिवस पर पुलिस की ओर से लाठीचार्ज और आंसू गैस का प्रयोग बेहद निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है।

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उन्होंने कहा कि कई ग्रामीणों के घायल होने की सूचना मिली है और उन्होंने साहिबगंज के एसपी से बात कर पूरी जानकारी ली है।

आदिवासी अस्मिता को दबाने का आरोप

बाबूलाल मरांडी ने आगे कहा कि इस कार्रवाई ने अंग्रेजी शासन की याद दिला दी है। जिस भूमि पर सिद्धो और कान्हू जैसे वीरों ने हूल क्रांति की शुरुआत की थी वहां एक बार फिर उनके वंशजों को अन्याय के खिलाफ सड़क पर उतरना पड़ा है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह नहीं चाहती कि झारखंड का आदिवासी समाज अपने इतिहास और पूर्वजों के बलिदान से प्रेरित होकर अपनी अस्मिता के लिए संगठित हो।

उनका कहना था कि राज्य सरकार घुसपैठियों को संरक्षण देकर आदिवासियों की आवाज दबाना चाहती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह साजिश कभी सफल नहीं होगी।

हेमंत सरकार की तुलना अंग्रेजी हुकूमत से

बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार की तुलना अंग्रेजी हुकूमत से करते हुए कहा कि जिस तरह सिद्धो कान्हू और चांद भैरव जैसे क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी सत्ता की नींव हिला दी थी, उसी तरह भोगनाडीह में आदिवासियों पर लाठीचार्ज की यह घटना सरकार के पतन की शुरुआत होगी।

उन्होंने यह भी कहा कि इस भूमि की आत्मा में विद्रोह की चिंगारी है और कोई भी शक्ति उसे दबा नहीं सकती।

हूल क्रांति दिवस का महत्व

हूल क्रांति दिवस हर साल 30 जून को मनाया जाता है। यह दिन 1855 में सिद्धो और कान्हू मुर्मू के नेतृत्व में हुए आदिवासी विद्रोह की स्मृति में मनाया जाता है। यह आंदोलन संथाल समुदाय द्वारा ब्रिटिश शासन और जमींदारी व्यवस्था के खिलाफ था। भोगनाडीह वही ऐतिहासिक गांव है जहां से यह विद्रोह शुरू हुआ था।

यह दिवस आदिवासी समाज के गर्व और स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक माना जाता है। इसी कारण यहां हर साल हज़ारों लोग एकत्र होकर अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं।

वर्तमान स्थिति और राजनीतिक असर

फिलहाल साहिबगंज के भोगनाडीह में तनाव की स्थिति बनी हुई है। प्रशासन पूरी तरह सतर्क है और शांति बनाए रखने की कोशिश की जा रही है।

इस घटना ने झारखंड की राजनीति को भी गर्म कर दिया है। भाजपा इसे आदिवासियों के अधिकारों पर हमला बता रही है जबकि प्रशासन इसे कानून व्यवस्था बनाए रखने की कार्रवाई बता रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा राज्य की राजनीति का बड़ा केंद्र बन सकता है।

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रीतु कुमारी OBC Awaaz की एक उत्साही लेखिका हैं, जिन्होंने अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई बीजेएमसी (BJMC), JIMS इंजीनियरिंग मैनेजमेंट एंड टेक्निकल कैंपस ग्रेटर नोएडा से पूरी की है। वे समसामयिक समाचारों पर आधारित कहानियाँ और रिपोर्ट लिखने में विशेष रुचि रखती हैं। सामाजिक मुद्दों को आम लोगों की आवाज़ बनाकर प्रस्तुत करना उनका उद्देश्य है। लेखन के अलावा रीतु को फोटोग्राफी का शौक है, और वे एक अच्छी फोटोग्राफर बनने का सपना भी देखती है। रीतु अपने कैमरे के ज़रिए समाज के अनदेखे पहलुओं को उजागर करना चाहती है।

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