वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ पूरे देश में उबाल है, और अब यह लहर असम तक पहुँच गई है। रविवार को असम के कछार जिले के सिलचर शहर में इस कानून के विरोध में आयोजित शांतिपूर्ण रैली अचानक हिंसक हो गई। विरोध के दौरान कुछ अराजक तत्वों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके बाद हालात बेकाबू होते देख पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
हिंसा की यह घटना चामरागुडम, बेरेंगा और ओल्ड लखीपुर रोड जैसे इलाकों में केंद्रित रही, जहां सुबह से विरोध रैली निकाली गई थी। प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था कि यह कानून “इस्लाम विरोधी” है और अगर इसे वापस नहीं लिया गया तो विरोध और उग्र होगा।
रैली में शामिल कुछ युवकों ने अचानक माहौल बिगाड़ते हुए पुलिस पर पथराव कर दिया। जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर किया। पुलिस अधीक्षक नुमल महत्ता ने स्पष्ट किया कि बल प्रयोग “उचित” था और उपद्रवियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि करीब 300-400 लोग इस कानून के विरोध में जमा हुए थे और उनमें से कुछ ने जानबूझकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की।
विरोध रैली के आयोजकों ने भी पथराव की घटना की निंदा की है। एक प्रदर्शनकारी ने बयान दिया कि यह विरोध पूरी तरह शांतिपूर्ण था और उन्होंने पुलिस पर हमले को अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि जो लोग इस तरह की हरकतें कर रहे हैं, वे न कानून के समर्थक हैं, न विरोध के। ऐसे लोगों पर पुलिस की कार्रवाई का वे स्वागत करते हैं।
दिलचस्प बात यह है कि ठीक एक दिन पहले ही असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने यह बयान दिया था कि उनके राज्य में वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है। उन्होंने मुस्लिम समुदाय और पुलिस दोनों की भूमिका की सराहना की थी।
वहीं देश के अन्य हिस्सों में भी इस कानून का जबरदस्त विरोध देखने को मिल रहा है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया था, जिसमें तीन लोगों की जान चली गई थी। त्रिपुरा में भी पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों की खबरें आईं, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए।
यह अधिनियम वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है, लेकिन विपक्ष और मुस्लिम संगठन इसे अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का प्रयास मान रहे हैं। भाजपा का दावा है कि यह कदम प्रशासनिक सुधारों की दिशा में है, जबकि इसके विरोधी इसे धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों पर हमला बता रहे हैं।