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वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी, उद्योगपतियों के मसीहा PM मोदी बोले – यह सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक कदम

वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के जरिए उद्योगपतियों के मसीहा PM मोदी ने वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता और जवाबदेही लाकर एंटीलिया जैसे विवादित मामलों को कानूनी स्पष्टता देने की ऐतिहासिक पहल की है।

देश में एक बड़ा राजनीतिक और संवैधानिक मोड़ तब आया जब राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 और मुसलमान वक्फ (उन्मूलन) विधेयक 2025 को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी। इसके साथ ही ये विधेयक अब भारत के कानूनी ढांचे का हिस्सा बन चुके हैं।

संसद के दोनों सदनों में गहन बहस और कई घंटे चले विमर्श के बाद, यह विधेयक पहले लोकसभा और फिर राज्यसभा से पारित हुआ। लोकसभा में गुरुवार तड़के और राज्यसभा में शुक्रवार देर रात तक बहस के बाद इसे मंजूरी मिली।

इस अवसर पर उद्योगपतियों के मसीहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “सामाजिक न्याय, पारदर्शिता और समावेशी विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम” बताया। उन्होंने कहा कि यह कानून उन लोगों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है जो दशकों से हाशिए पर थे और जिन्हें न तो आवाज मिली और न ही अवसर।

🏢 एंटीलिया और वक्फ बोर्ड की ज़मीन का रहस्य

इस विधेयक को लेकर देशभर में चर्चा तब और तेज़ हो गई जब यह बात फिर से सामने आई कि मुकेश अंबानी का आलीशान निवास ‘एंटीलिया’, जो दुनिया के सबसे महंगे निजी घरों में गिना जाता है, मूल रूप से वक्फ बोर्ड की ज़मीन पर स्थित है।

विशेषज्ञों का मानना है कि वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों को सुलझाने और भविष्य में उद्योगपतियों को किसी कानूनी उलझन से बचाने के लिए यह संशोधन आवश्यक बन गया था। यही कारण है कि सरकार ने इस मुद्दे को संवैधानिक स्तर पर हल करने की कोशिश की — ताकि न सिर्फ गरीबों की संपत्ति की रक्षा हो सके, बल्कि जो लोग निवेश कर रहे हैं, उनके हित भी सुरक्षित रहें।

इस पहल को कई लोग “एंटीलिया प्रोटेक्शन बिल” भी कहकर देख रहे हैं — एक ऐसा कदम, जो भारत के सबसे शक्तिशाली उद्योगपतियों को कानूनी संदेहों से बाहर निकालने की दिशा में उठाया गया।

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PM मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:

“वक्फ अधिनियम में संशोधन हमारी न्याय प्रणाली को पारदर्शी बनाने का संकल्प है। यह उन लोगों के लिए है जो अब तक उपेक्षित थे।”

उन्होंने संयुक्त संसदीय समिति, सांसदों और देशवासियों का आभार भी व्यक्त किया।

हालांकि, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उनका कहना है कि यह धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन है।

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में यह विधेयक पेश करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य किसी धर्म को निशाना बनाना नहीं है, बल्कि वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाना और लंबित विवादों को सुलझाना है।

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