दो मशहूर लेखक हैं चार्ल्स फिलिप्स और एलन एक्सेलॉर्ड, इन्होंने दुनिया भर में हुए युद्ध पर एक रिसर्च किया और इसी रिसर्च पर आधारित एक किताब लिखी जिसे “युद्ध इतिहास” का इनसाइक्लोपीडिया कहा जाता है।
इस किताब का नाम ही है “इनसाइक्लोपीडिया ऑफ वार्स” यह किताब एक ऐसा विश्वकोश है जो युद्धों के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। यह युद्धों के इतिहास, कारणों, परिणामों, और उनके सामाजिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक प्रभावों का अध्ययन करता है।
“एनसाइक्लोपीडिया ऑफ वॉर्स” में विभिन्न युद्धों का ऐतिहासिक विवरण दिया गया है, जिसमें प्राचीन युद्धों से लेकर आधुनिक युद्धों तक 1800 से अधिक युद्ध शामिल है। इसमें गृह युद्ध, अंतर्राष्ट्रीय युद्ध, धार्मिक युद्ध, और अन्य प्रकार के युद्धों का भी विस्तृत विवरण दिया गया है।
इस रिसर्च के अनुसार पूरी दुनिया में अब तक कुल प्रमाणित 1763 युद्ध हुए हैं जिसमें से सिर्फ़ 123 युद्ध धर्म की वजह से हुए है, यानी मात्र 7% युद्धों की वजह धर्म रही है।
एक और आंकड़ा है कि पूरी दुनिया में मात्र 2% मौत ही धर्म की वजह से हुई हैं और सबसे अधिक युद्ध और सबसे अधिक मौतें पैसे औ र ज़मीन के लिए हुए हैं। जिसमें प्राचीन काल से आधुनिक युग तक 1,800 से अधिक युद्धों का दस्तावेजीकरण है।
इस पुस्तक को पढ़ कर मेरा आकलन है कि युद्ध पूर्व दो देशों के बीच जो परिस्थितियां होती हैं वैसी परिस्थितयां फिलहाल नहीं हैं इस लिए युद्ध नहीं होगा , वैसे भी दो परमाणु शक्तियों के बीच कभी भी युद्ध नहीं हुआ है। क्योंकि इससे परमाणु हथियारों के प्रयोग की संभावना पैदा हो जाती है और हारता हुआ देश परमाणु हथियार को अंतिम विकल्प के रूप में प्रयोग कर सकता है।
परमाणु हथियारों के मामले में भारत और पाकिस्तान की क्षमता हाल के दिनों में बराबर हो गई है। इसके पहले भारत के पास पाकिस्तान की अपेक्षा कम परमाणु बम थे। यद्यपि क्षेत्रफल के अनुसार पाकिस्तान के लिए मात्र 5-6 बम ही काफी हैं उसे खत्म करने के लिए।
OIC के 57 देशों ने पाकिस्तान का समर्थन कर दिया है, तो चीन पहले ही हर हाल में पाकिस्तान के समर्थन का ऐलान कर चुका है , इसके अतिरिक्त तुर्की भी पाकिस्तान को समर्थन दे चुका है। रूस चुप है , ब्रिटेन और शेष देश किधर हैं पता नहीं, सब अपना मुनाफा तौल रहे हैं।
भारत के साथ एक आधा चौथाई अमेरिका मात्र एक सहयोगी देश है जो कि वैश्विक समर्थन को भारत के पक्ष में करने के लिए पर्याप्त है मगर डोनल्ड ट्रंप एक अविश्वसनीय व्यक्ति हैं, ऐसा वह करेंगे इसकी भी संभावना नहीं है। संभावना होगी तब जब इस युद्ध से अमेरिका को फायदा होगा , भारत अमेरिकी हथियारों को प्राप्त करने के लिए डोनल्ड ट्रंप के मनमाफिक एग्रीमेंट करेगा। फिर फ्रांस भी हथियार बेचने के मामले में एक बड़ा देश है उससे भी हथियार लेने पड़ेंगे।
कारगिल युद्ध को ही आधार बनाएं तो इसमें भारत के 527 सैनिकों की शहादत हुई वहीं पाकिस्तान ने यह आंकड़ा 300 का बताया। यद्यपि पाकिस्तान के बताए आंकड़े पर विश्वास करने का कोई आधार भी नहीं है।
मगर भारत ने कारगिल युद्ध पर कितना खर्च किया यह प्रमाण तो है , उसी आधार पर कारगिल के युद्ध की तरह एक सीमित स्थान पर युद्ध में एक अनुमान के अनुसार भारत का दैनिक खर्च 1,500 से 5,000 करोड़ रुपये के बीच हो सकता है। जबकि पूर्ण युद्ध का दैनिक खर्च 5,000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है।
एक अन्य स्रोत में बताया गया कि आधुनिक युद्ध की लागत को देखते हुए, भारत का दैनिक खर्च 5,000 से 10,000 करोड़ रुपये तक हो सकता है, जिसमें सैन्य संचालन, गोला-बारूद, और अन्य संसाधन शामिल हैं।
यदि युद्ध व्यापक और लंबा होता है, तो दैनिक खर्च 1.34 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। एक विश्लेषण के अनुसार, चार सप्ताह के युद्ध में भारत को कुल 62 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हो सकता है, जिसमें सैन्य खर्च के साथ-साथ औद्योगिक उत्पादन, व्यापार, और विदेशी निवेश में कमी जैसे अप्रत्यक्ष नुकसान शामिल हैं।
अर्थात भारत की कुल जीडीपी 320 लाख करोड़ रूपए का 20%…..
ध्यान दीजिए कि 1999 के कारगिल युद्ध में भारत का कुल खर्च 16,601 करोड़ रुपये था, जो 85 दिनों तक चला और इसका दैनिक औसत लगभग 195 करोड़ रुपये था। वर्तमान में मुद्रास्फीति, आधुनिक हथियारों की लागत, और युद्ध के विस्तार को ध्यान में रखते हुए, यह खर्च कई गुना अधिक होगा।
तो युद्ध का निर्णय लेकर पाकिस्तान का जो होगा सो होगा मगर भारत की आर्थिक स्थिति पर भी इसका बहुत व्यापक असर पड़ेगा।
हां अमेरिका ने कुछ ले देकर इजाज़त दे दी तो बालाकोट जैसा कुछ हो सकता है। इसलिए न्युज चैनलों के फैलाए युद्धोन्माद में मत फंसिए और मोदी सरकार पर भरोसा रखिए, वह ज़रूर भाषण के साथ साथ पहलगाम के आतंकवादियों को नेस्तनाबूद करेंगे।
और हां भारत पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध को दो धर्म के बीच का युद्ध तो बिल्कुल मत समझिए क्योंकि “इनसाइक्लोपीडिया आफ़ वार” के अनुसार इसकी संभावना सिर्फ 7% ही है , और फिर भारत पाकिस्तान युद्ध में ब्रिगेडियर उस्मान भी होते हैं, वीर अब्दुल हमीद भी होते हैं, हनीफुद्दीन भी तो होते हैं।