युद्धविराम की घोषणा हुए करीब एक दिन हो चुका है। विदेश सचिव ने इसकी जानकारी दी, लेकिन अब तक न प्रधानमंत्री बोले, न गृहमंत्री, न रक्षामंत्री। सब खामोश हैं। न कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस, न कोई बयान। कोई नहीं जानता कि सीज़फायर की शर्तें क्या थीं, किसी को नहीं पता, लिखित में थीं या ज़बानी किसी को नहीं पता।
उधर अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप खुलेआम कश्मीर में दखल देने की बात कर रहा है, और हमारी सरकार का कोई जवाब नहीं। जैसे सब कुछ ठहर गया हो।
दुश्मन मुल्क पाकिस्तान में हालात अलग हैं। वहां के प्रधानमंत्री तीन बार अपने देश को संबोधित कर चुके हैं, भारत पर “जीत” का एलान कर रहे हैं। रात में धमकियां दे रहे हैं कि फिर हमला होगा। वहां जश्न का माहौल है, सड़कों पर मिठाइयां बंट रही हैं, सैनिकों का फूल-मालाओं से स्वागत हो रहा है, सोशल मीडिया पर राफेल का मज़ाक उड़ाया जा रहा है। AI के माध्यम से भारत के प्रधानमंत्री के फूहड़ और शर्मनाक वीडियो बनाए जा रहे हैं।
एक वीडियो देखा जिसमें कहा जा रहा है
“जब गांव में नहीं था गूदा, तो क्यों लंका में कूदा”
इधर देश में हालात उलट हैं। जो सरकार की तारीफ करते नहीं थकते थे, अब गाली-गलौज पर उतर आए हैं। सरकार के लोग अपना एकाउंट लाक कर रहे हैं। और बाकी देश? वो सोच रहा है, अब क्या करें? क्या कहें?
अगर किसी के पास चुल्लू भर पानी हो, तो भेज दो यार…
अब तो शर्म भी शरमा जाए,
मुझे नहीं रे बाबा….