भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस समय नेतृत्व परिवर्तन के एक महत्वपूर्ण दौर से गुजर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार तीसरी बार सत्ता में आने और पार्टी के 22 राज्यों में अपने सहयोगियों के साथ सरकार में होने के बावजूद, अब पार्टी को अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में जे.पी. नड्डा के उत्तराधिकारी की तलाश करनी है।
नए अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी क्यों?
जेपी नड्डा 2019 से बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर उनके कार्यकाल को आगे बढ़ाया गया था ताकि पार्टी में नेतृत्व की निरंतरता बनी रहे। हालांकि, शुरुआत में अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया को राज्य विधानसभा चुनावों की व्यस्तता के कारण टाल दिया गया था, लेकिन अब यह एक अहम मुद्दा बन चुका है।
इसके अलावा, नड्डा जून 2024 से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं, जिससे बीजेपी के ‘एक व्यक्ति, एक पद’ सिद्धांत का उल्लंघन हो रहा है। ऐसे में पार्टी के लिए अब नए अध्यक्ष की नियुक्ति करना आवश्यक हो गया है।
क्या बीजेपी को मिलेगी पहली महिला अध्यक्ष?
यह कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी इस बार अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में किसी महिला को मौका दे सकती है, जो पार्टी के इतिहास में पहली बार होगा। बीजेपी नेतृत्व पहले ही कई राज्यों—गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में जिला अध्यक्षों के चुनाव संपन्न कर चुका है।
हालांकि, पश्चिम बंगाल, पंजाब, उत्तराखंड और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में जहां सदस्यता अभियान में देरी हुई है, वहां के चयन नामांकन प्रक्रिया के आधार पर किए जाएंगे। इसी के साथ, ओडिशा और कर्नाटक जैसे राज्यों में भी संगठनात्मक बदलाव पर पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व ध्यान केंद्रित किए हुए है।
अब देखना यह है कि बीजेपी इस बार परंपरा तोड़कर अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में किसी महिला को जिम्मेदारी सौंपती है या नहीं। यह निर्णय पार्टी की आंतरिक राजनीति को तो प्रभावित करेगा ही, साथ ही महिला नेतृत्व को लेकर एक बड़ा संदेश भी देगा।