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BMTC ड्राइवर पर चप्पल अटैक, बेंगलुरु की बसों में बढ़ती हिंसा

बेंगलुरु में BMTC ड्राइवर पर महिला का चप्पल से हमला, यात्रियों की बढ़ती हिंसा ने बस कर्मचारियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

बेंगलुरु के सरजापुर रोड के कैकोंड्रहल्ली इलाके में शुक्रवार को BMTC बस ड्राइवर अतहर हुसैन के साथ जो हुआ, वह किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था। 42 वर्षीय ड्राइवर अतहर, जो डिपो 38 से टिन फैक्ट्री से इलेक्ट्रॉनिक्स सिटी रूट पर बस चला रहे थे, ने शिकायत में बताया कि एक महिला यात्री काव्या, जो एक निजी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, ने उनसे बस को अपनी ऑफिस के सामने रोकने की जिद की।

चूंकि वह जगह अधिकृत बस स्टॉप नहीं थी और ट्रैफिक पुलिस वहां किसी भी वाहन को रुकने नहीं दे रही थी, अतहर ने नियमों का पालन करते हुए बस को कुछ मीटर आगे बने नए बस स्टॉप पर ही रोकने की बात कही। इससे नाराज होकर काव्या ने पहले जोर-जोर से चिल्लाना शुरू किया, पेट पकड़कर महिला की समस्या का हवाला दिया और जैसे ही बस रुकी, उतरते वक्त ड्राइवर को गंदी-गंदी गालियां दीं। ड्राइवर ने जब आपत्ति जताई और CCTV कैमरे का हवाला दिया, तो काव्या फिर बस में चढ़ी, अपनी दाहिनी चप्पल निकाली और ड्राइवर पर हमला कर दिया।

पुलिस की कार्रवाई और थाने का नजारा

घटना के बाद काव्या बस से भागने लगी, लेकिन अतहर ने पास में तैनात ट्रैफिक महिला पुलिस को बुला लिया। काव्या ने पुलिस को भी गालियां दीं, रिश्वतखोरी के आरोप लगाए और खुद को रसूखदार लोगों से जुड़ा बताया। पुलिस ने उसे बताया कि उसकी सारी हरकतें बॉडी कैमरे में रिकॉर्ड हो रही हैं, लेकिन वह बेपरवाह रही। आखिरकार उसे बेलंदूर पुलिस स्टेशन ले जाया गया। वहां थोड़ी देर बाद काव्या के पति पहुंचे और पुलिस व ड्राइवर से माफी मांगते हुए बताया कि काव्या मानसिक तनाव के इलाज के लिए दवा ले रही है। पुलिस ने स्पष्ट किया कि FIR दर्ज हो चुकी है, इसलिए कोई समझौता कोर्ट में ही हो सकता है। काव्या के खिलाफ BNS की कई धाराओं में केस दर्ज किया गया है, जिनमें सरकारी कर्मचारी को ड्यूटी से रोकने के लिए चोट पहुंचाना, गंभीर उकसावे के बिना हमला, और जानबूझकर अपमानित करना शामिल है।

BMTC बसों में बढ़ती हिंसा: हालिया घटनाएं

यह पहली बार नहीं है जब BMTC बसों में ड्राइवर या कंडक्टर पर हमला हुआ हो। पिछले साल अक्टूबर में टिन फैक्ट्री बस स्टॉप के पास एक कंडक्टर पर एक यात्री ने पत्थर से हमला कर दिया था, सिर्फ इसलिए कि उसका मासिक पास मान्य नहीं था। कंडक्टर को सिर में चोट आई, लेकिन ड्राइवर और अन्य स्टाफ की मदद से आरोपी को पकड़ लिया गया।इसी तरह, अक्टूबर 2024 में व्हाइटफील्ड के पास एक यात्री ने कंडक्टर को चाकू मार दिया, क्योंकि उसे बस के दरवाजे के पास खड़े होने से मना किया गया था। आरोपी ने बाद में बताया कि वह जेल जाना चाहता था क्योंकि उसे नौकरी और खाने की दिक्कत थी। नवंबर 2024 में एक रोड रेज मामले में स्कूटर सवार ने BMTC ड्राइवर को पीट दिया, क्योंकि बस ने उसे रास्ता नहीं दिया था।

बस ड्राइवरों पर हमलों के पीछे की वजहें

इन घटनाओं से साफ है कि BMTC बसों में ड्राइवर और कंडक्टर लगातार यात्रियों की बदसलूकी और हिंसा का शिकार हो रहे हैं। कभी यात्री नियमों का पालन न करने पर नाराज हो जाते हैं, तो कभी रोड रेज या टिकट विवाद में मामला हाथापाई तक पहुंच जाता है। कई बार मानसिक तनाव, गुस्सा, या व्यक्तिगत समस्याएं भी हिंसा की वजह बनती हैं। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और CCTV फुटेज से ऐसे मामलों में तेजी से कार्रवाई तो होती है, लेकिन यह भी दिखाता है कि सार्वजनिक परिवहन में कर्मचारियों की सुरक्षा बड़ी चुनौती बन गई है।

प्रशासन और BMTC की प्रतिक्रिया

BMTC ने बार-बार कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए सख्त नियम लागू करने की बात कही है। कई मामलों में ड्राइवरों और कंडक्टरों को फर्स्ट एड, कानूनी सहायता और मानसिक स्वास्थ्य सपोर्ट दिया गया है। वहीं, पुलिस ने भी ऐसे मामलों में सख्ती दिखाई है – चाहे वह यात्री द्वारा हमला हो या ड्राइवर की लापरवाही। हाल ही में एक वायरल वीडियो में एक BMTC ड्राइवर ने महिला को बस से कुचलने की कोशिश की थी, जिसके बाद उसे तुरंत सस्पेंड कर दिया गया और विभागीय जांच शुरू हुई। ट्रांसपोर्ट मंत्री ने भी साफ किया है कि किसी भी तरह की हिंसा, चाहे वह कर्मचारी करें या यात्री, बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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यात्री और कर्मचारियों दोनों की जिम्मेदारी

बेंगलुरु जैसे महानगर में जहां हर दिन लाखों लोग BMTC बसों से सफर करते हैं, वहां नियमों का पालन, धैर्य और सम्मान दोनों तरफ से जरूरी है। ड्राइवरों को चाहिए कि वे यात्रियों की समस्याओं को समझें, लेकिन नियमों की अनदेखी न करें। वहीं, यात्रियों को भी समझना चाहिए कि नियम सबके लिए हैं और किसी भी समस्या का हल हिंसा नहीं है। लगातार बढ़ती ऐसी घटनाएं इस बात की चेतावनी हैं कि अगर सार्वजनिक परिवहन सुरक्षित और सुचारु रखना है, तो सभी को जिम्मेदारी से पेश आना होगा। वरना, कभी कोई ड्राइवर चप्पल से पिटेगा, तो कभी कंडक्टर पर पत्थर-चाकू चलेगा और सफर, डर और तनाव के साथ ही तय होगा।

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रीतु कुमारी OBC Awaaz की एक उत्साही लेखिका हैं, जिन्होंने अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई बीजेएमसी (BJMC), JIMS इंजीनियरिंग मैनेजमेंट एंड टेक्निकल कैंपस ग्रेटर नोएडा से पूरी की है। वे समसामयिक समाचारों पर आधारित कहानियाँ और रिपोर्ट लिखने में विशेष रुचि रखती हैं। सामाजिक मुद्दों को आम लोगों की आवाज़ बनाकर प्रस्तुत करना उनका उद्देश्य है। लेखन के अलावा रीतु को फोटोग्राफी का शौक है, और वे एक अच्छी फोटोग्राफर बनने का सपना भी देखती है। रीतु अपने कैमरे के ज़रिए समाज के अनदेखे पहलुओं को उजागर करना चाहती है।

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