हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है, जिसका मकसद लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करना है। पानी हमारे जीवन का आधार है, लेकिन बढ़ती आबादी, जलवायु परिवर्तन और पानी की बर्बादी के कारण जल संकट गहराता जा रहा है। यदि अब भी हम सचेत नहीं हुए, तो आने वाली पीढ़ियों को गंभीर संकट का सामना करना पड़ सकता है।
क्यों मनाया जाता है विश्व जल दिवस?
विश्व जल दिवस की शुरुआत 1992 में संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा आयोजित रियो डी जनेरियो पृथ्वी सम्मेलन में हुई थी। इसके बाद, 22 दिसंबर 1992 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। पहली बार यह दिवस 1993 में मनाया गया था और तब से हर साल इसे एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है।
पानी की कमी और बढ़ता संकट
धरती का 71% हिस्सा पानी से घिरा है, लेकिन उसमें से 97.5% खारा पानी है, जिसे पीने या दैनिक उपयोग में नहीं लाया जा सकता। सिर्फ 2.5% ताजे पानी में से भी अधिकांश ग्लेशियरों और बर्फीली चोटियों में जमा है। हमारे इस्तेमाल के लिए केवल 1% से भी कम साफ पानी बचता है। बढ़ते प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित जल दोहन के कारण यह संकट और गंभीर होता जा रहा है।
विश्व जल दिवस 2025 की थीम
इस साल विश्व जल दिवस 2025 की थीम है “ग्लेशियर संरक्षण”। ग्लेशियर प्राकृतिक जल स्रोत हैं और नदियों के बहाव को नियंत्रित रखते हैं। लेकिन ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण ये तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे भविष्य में जल संकट और बढ़ सकता है।
हम क्या कर सकते हैं?
- बेवजह पानी की बर्बादी रोकें – नल खुला न छोड़ें, जरूरत से ज्यादा पानी न बहाएं।
- वर्षा जल संचयन को बढ़ावा दें – पानी इकट्ठा कर इसे सही तरीके से उपयोग करें।
- गंदे पानी को साफ करने के उपाय अपनाएं – जलशोधन तकनीकों का इस्तेमाल करें।
- पेड़-पौधे लगाएं – वनों का संरक्षण करें क्योंकि पेड़ बारिश के पानी को धरती में संचित करने में मदद करते हैं।
संकल्प लें – बूंद-बूंद बचाएं
विश्व जल दिवस सिर्फ एक दिन मनाने का पर्व नहीं, बल्कि यह हमें पानी बचाने का संकल्प लेने के लिए प्रेरित करता है। जल संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। अगर हम आज नहीं जागे, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संकट एक भयावह सच्चाई बन सकता है। आइए, “बूंद-बूंद बचाएं, जीवन बचाएं” का संकल्प लें और पानी को व्यर्थ न बहने दें।