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कोटा की नंदिनी: मिस वर्ल्ड सेमीफ़ाइनल में पहुँची

कोटा की नंदिनी गुप्ता मिस वर्ल्ड 2025 सेमीफ़ाइनल में पहुँची, गाँव की मिट्टी से जुड़े रहकर ग्लोबल मंच पर भारत की असली पहचान बन गईं।

हैदराबाद के ग्लैमरस मिस वर्ल्ड 2025 स्टेज पर जब नंदिनी गुप्ता ने सेमीफ़ाइनल में कदम रखा, तो पूरा कोटा सड़कों पर उतर आया। 40 देशों की प्रतिभागियों के बीच इस 22 वर्षीय राजस्थानी बेटी ने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए अपनी जगह पक्की की। यह सफर उसके लिए 2023 में मिस इंडिया का ताज पहनने के बाद शुरू हुआ था, जब उसने रात दर रात जिम सत्रों, व्यक्तित्व विकास वर्कशॉप और सामाजिक कार्यों के ज़रिए खुद को तैयार किया। उसकी तैयारी में कोई कमी नहीं थी, बताती हैं उसकी मेंटर प्रियंका चोपड़ा, वह जानती थी कि मिस वर्ल्ड का मतलब सिर्फ सुंदरता नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने भारत की आत्मा को प्रस्तुत करना है। नंदिनी ने अपने प्रोजेक्ट रूरल राइज़ के तहत राजस्थान के 30 गाँवों में डिजिटल साक्षरता अभियान चलाया, जिसमें 5,000 से अधिक महिलाओं को स्मार्टफोन उपयोग सिखाया गया।  

गाँव की मिट्टी में जड़ें, दुनिया की उड़ान 

भांडाहेड़ा गाँव की मिट्टी की खुशबू आज भी नंदिनी के लिए पेरिस के परफ्यूम से बढ़कर है। कोटा शहर में पली-बढ़ी इस बेटी का रिश्ता अपने पैतृक गाँव से इतना गहरा है कि मिस इंडिया बनने के बाद जब वह पहली बार लौटी, तो गाँववालों ने उसे ट्रैक्टर पर बैठाकर स्वागत किया। खुद राज्य के ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ट्रैक्टर चलाकर उसे लेने आए थे। वह हमेशा कहती है, पापा, शहर की हवा में वो बात कहाँ जो गाँव के खेतों में है? बताते हैं उनके पिता सुमित गुप्ता, एक छोटे व्यवसायी। नंदिनी की दिनचर्या गाँव में पशुओं को चारा खिलाने, बच्चों के साथ गिल्ली-डंडा खेलने और चूल्हे पर बनी मिक्स सब्ज़ी-रोटी खाने से शुरू होती है। उसकी बहन अनन्या हंसते हुए याद करती हैं, पिछले साल दीवाली पर उसने ट्रैक्टर की पूजा की थी, क्योंकि उसके लिए वही असली लक्ज़री व्हीकल है।  

रैंप और ट्रैक्टर: दो दुनियाओं की महारथ  

नंदिनी का जादू उसकी दोहरी पहचान में है। जहाँ एक ओर वह अंतरराष्ट्रीय रैंप पर 6-इंच हील्स में चलकर सबका दिल जीतती है, वहीं दूसरी ओर हार्वेस्टर के विशाल पहियों पर सवार होकर खेतों का चक्कर लगाती है। उसके पिता गर्व से बताते हैं, मुझे कार चलानी नहीं आती, लेकिन मेरी बेटी ट्रैक्टर को इतनी कुशलता से संभालती है जैसे वह उसकी दूसरी त्वचा हो। यह कौशल उसने अपने चाचा रमेश गुप्ता से सीखा, जो गाँव में कृषि कार्य करते हैं। 2023 के उस ऐतिहासिक पल को गाँव के स्कूल शिक्षक राजेश मीणा याद करते हैं, जब उसने मिस इंडिया का ताज पहनकर ट्रैक्टर चलाया, तो सैकड़ों लोगों की आँखें नम हो गईं। उसने साबित किया कि सफलता आपकी जड़ों से दूर नहीं करती। आज भी वह गाँव आती है तो किसानों के साथ फसल चक्र पर चर्चा करती है और ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देती है।  

तीन साल की उम्र से चमकता सितारा  

नंदिनी की कहानी उस बच्चे के सपने से शुरू होती है जिसने टीवी पर नम्रता इरोड़ी का रैंप वॉक देखकर कपड़ों के डिब्बे ऊँचे करके होममेड कैटवॉक बनाया। उसकी माँ रेखा गुप्ता आज भी उस 3 साल की बच्ची के वीडियो संभालकर रखती हैं, जहाँ वह गुड़िया को गोद में लिए माँ की साड़ी पहनकर चलने का अभ्यास कर रही है। हमने कभी नहीं सोचा था कि यह शौक उसे दुनिया के सबसे बड़े ब्यूटी प्लेटफॉर्म तक ले जाएगा, कहती हैं रेखा। मुंबई के एमआईटी विश्वविद्यालय में फैशन डिज़ाइन की पढ़ाई ने उसके सपनों को पंख दिए। यहाँ उसने डेज़ी स्टूडियो नाम से एक स्टार्टअप शुरू किया, जो ग्रामीण कारीगरों के हथकरघा उत्पादों को ग्लोबल मार्केट से जोड़ता है। उसके कॉलेज प्रोफेसर डॉ. अमित शर्मा बताते हैं, वह क्लास में सबसे पहले आती थी और देर रात तक डिज़ाइन्स पर काम करती थी। उसकी थीसिस ‘राजस्थानी फोल्क आर्ट इन कंटेम्पररी फैशन’ ने उद्योग जगत का ध्यान खींचा। 

पूरा देश बना उसकी ताकत

सेमीफ़ाइनल की घोषणा के साथ ही भांडाहेड़ा गाँव जश्न में डूब गया। मंदिरों में विशेष पूजा आयोजित की गई और बच्चों ने स्कूल की दीवारों पर गो नंदिनी! के पोस्टर चिपकाए। नंदिनी के परिवार, पिता सुमित, माँ रेखा और बहन अनन्या ; हैदराबाद पहुँच चुके हैं, जहाँ वे फाइनल का इंतज़ार कर रहे हैं। हमारे लिए वह पहले से ही विजेता है, कहते हैं उनके चाचा प्रकाश गुप्ता, जो गाँव में रहकर उसके लिए प्रार्थनाएँ कर रहे हैं। नंदिनी की सफलता ने पूरे कोटा को गौरवान्वित किया है। जिला कलेक्टर अर्पित शुक्ला कहते हैं, उसने साबित किया कि छोटे शहरों की लड़कियाँ भी अपनी मेधा से दुनिया जीत सकती हैं। हम उसके नाम पर एक कौशल विकास केंद्र शुरू करने की योजना बना रहे हैं।

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रीतु कुमारी OBC Awaaz की एक उत्साही लेखिका हैं, जिन्होंने अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई बीजेएमसी (BJMC), JIMS इंजीनियरिंग मैनेजमेंट एंड टेक्निकल कैंपस ग्रेटर नोएडा से पूरी की है। वे समसामयिक समाचारों पर आधारित कहानियाँ और रिपोर्ट लिखने में विशेष रुचि रखती हैं। सामाजिक मुद्दों को आम लोगों की आवाज़ बनाकर प्रस्तुत करना उनका उद्देश्य है। लेखन के अलावा रीतु को फोटोग्राफी का शौक है, और वे एक अच्छी फोटोग्राफर बनने का सपना भी देखती है। रीतु अपने कैमरे के ज़रिए समाज के अनदेखे पहलुओं को उजागर करना चाहती है।

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