आजादी के बाद से सबसे उपेक्षित कोई वर्ग रहा है तो वो है OBC, और क्यूँ न हो? हकों एंव अधिकारों की बात हो तो पंक्ति में सबसे पीछे तथा धर्म की बाते हो तो अव्वल नज़र आते है। इतिहास का स्वर है कि, युद्ध ही आपको आपके अधिकारों से रूबरू कराएगा, चाहे कलम के दम पर हो अथवा हथियार के बल पर, शस्त्रहीन तथा शब्दहीन समाज के हकों को किसी यज्ञ के हवन कुंड में दबा कर आहुति दे दी जाती है।
उदाहरणार्थ, 5 दिसम्बर 2023 को कार्मिक एंव प्रशिक्षण विभाग के अधिकारियों द्वारा केंद्र सरकार के 72 विभागों में ST, SC तथा OBC कर्मचारियों की संख्या पेश की गई थी, इस आधार पर संसदीय समिति ने अपनी 30वीं रिपोर्ट, 8 फरवरी 2024 को 17वीं लोकसभा के पटल पर रखा।
इस रिपोर्ट के अनुसार गणना की गई तथा पाया गया कि ST, SC, OBC को न्यूनतम संविधानिक हक देने के लिए केंद्र सरकार में 151237 पद रिक्त है, जिसमें OBC हेतु 130201 पद है, चूँकि सामाजिक न्याय के नाते Backlog पदो पर विशेष भर्ती अनिवार्य है।
वर्ष 2000 में संविधान के 81 वें संशोधन के दौरान आर्टिकल 16(4B) को समाहित किया गया, जिसके अनुसार विशेष भर्ती में 50% आरक्षण सीलिंग से मुक्ति मिल गई है, अर्थात SC, ST तथा OBC के Backlog पदो पर विशेष भर्ती में आप इन वर्गों के उम्मीदवारो को 100% सीटें दे सकते हैं।
संविधान में 81 वें संशोधन के 24 वर्ष पूरे हो चुके है, लेकिन विशेष भर्ती नहीं की गई। नई व्यवस्थित कमेटी की चौथी बैठक पिछले वर्ष 6 नवंबर को हुई लेकिन भर्ती से संबंधित आधिकारिक ब्यान नहीं आया, अर्थात सोये हुए समाज के संवैधानिक अधिकारों का हनन सुनिश्चित है यदि कोई आवाज उठाने वाला न हो।
पिछड़ों का प्रतिनिधित्व करके लोकसभा तक पहुचने वाले राजनेता, पिछड़ा वर्ग कल्याण समिति के अध्यक्ष तथा समिति के अन्य सदस्य भी सत्ता पक्ष के बैनर तले चुप्पी साधे हुए है, अंततः सवाल है कि, आखिर कब तक सत्ता में आने वाली सरकारे पिछड़ों के अधिकारो के विषय में सोचेगी?