हमारे देश का चरित्र अपने से मज़बूत से लड़ने का रहा है। पौराणिक कथाओं के नायक भी अपने से बेहद मज़बूत लोगों से लड़े और जीते।
आप राम को देख लीजिए, रावण की शक्ति के सामने राम के पास क्या था? जंगल के बंदर। आप महाभारत देखिए, उसमें भी कौरवों के सामने पांडवों की ताक़त क्या थी? कुछ नहीं।
ऐसे ही तमाम उदाहरण हैं। फिल्मों में भी नायक के सामने खलनायक बेहद मज़बूत होता है, परन्तु कमज़ोर नायक उससे लड़ता है और जीतता है।
अपने से मज़बूत को हराना ही बहादुरी है, मगर हम पिद्दी से, अपने से बेहद कमज़ोर पाकिस्तान को हराकर या गाली देकर अपनी बहादुरी समझते हैं, क्योंकि केवल इसलिए कि वह मुसलमानों का देश है। और अपने से शक्तिशाली देशों के सामने झुक जाते हैं, फिर चाहे अमेरिका हो या चीन।
अमेरिका का राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पीछे पड़ा हुआ है और 18 बार भारत सरकार के दावों के विपरीत, खुद युद्ध रुकवाने का श्रेय ले रहा है और हम चूं भी नहीं कर पा रहे हैं।
चीन ने भारत को बार-बार हराया है, हमारे देश की सीमाओं में अतिक्रमण करके घुसा है, और हमारे देश के प्रधानमंत्री इसके बावजूद चीन को सर्टिफिकेट देते हुए कहते हैं कि “ना कोई हमारी सीमा में घुसा है, ना किसी ने हमारी चौकियों पर कब्ज़ा किया है”…
यह देश के चरित्र के विपरीत है कि पिद्दी सा पाकिस्तान सामने हो तो “हम घर में घुसकर” मारने की डायलॉगबाज़ी करते हैं और चीन के सामने हम अपने घर में दुबक जाते हैं, उसे अपने देश में व्यापार करने की छूट देते हैं, और इसके बावजूद कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा ₹8.3 लाख करोड़ (99.2 अरब डॉलर) तक पहुंच गया।
चीन भारत से कमा भी रहा है और जहां चाहे भारत में घुस जा रहा है, जिस जगह का चाहे नाम बदल दे रहा है, और हम चूं तक नहीं कर सकते।
ऊपर से तुर्रा यह कि विदेश मंत्री जयशंकर प्रसाद कहते हैं कि चीन हमसे बहुत बड़ी अर्थव्यवस्था है, हम उससे नहीं लड़ सकते, अर्थात हम छोटे-छोटे देशों से लड़ेंगे, खासकर पिद्दी से पाकिस्तान से, क्योंकि वह देश में सांप्रदायिक नफ़रत की राजनीति को खाद-पानी देता है।
इसी तरह देश में कमज़ोर मुसलमानों को मारते हो, उनकी पैंट उतार कर उनका धर्म चेक करते हो, और मज़बूत मुसलमानों को अपना दामाद बना लेते हो।
हमारी परंपरा तो दुश्मन से भी सीखने की रही है। राम ने मरते रावण से सीख लेने के लिए लक्ष्मण को उसके पास भेजा था और कहा था कि रावण के चरणों के पास खड़े होकर ज्ञान लो।
भले पाकिस्तान दुश्मन देश है, मगर उससे भी सीखने की आवश्यकता है। सारी दुनिया के देश उसके साथ हैं। चीन-रूस भी, और उसका दुश्मन अमेरिका भी। और उस पर चौतरफा धन की बारिश हो रही है, और अब वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष बन गया है। अब वह वहां बैठकर विश्व की राजनीति की दिशा तय करेगा।
यह हमारी विदेश नीति की विफलता है। हम किसी राष्ट्राध्यक्ष से किचकिचा कर गले मिलने, खिलखिला कर बात करने और सेल्फ़ी लेने को ही अपनी विदेश नीति की सफलता मान लेते हैं, जबकि आतंकवाद पर हम तमाम सबूतों के बावजूद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को घेर नहीं पाते।
हम घूम-घूम कर तमाम देशों से सर्वोच्च नागरिक सम्मान ले रहे हैं और 7 मई 2025 को हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद से पाकिस्तान उन्हीं देशों से बस नोट बटोर रहा है।
कुछ उदाहरण देखिए:
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 9 मई 2025 को पाकिस्तान को $2.4 बिलियन की नई सहायता दी।
- इसके अतिरिक्त $7 बिलियन की विस्तारित सहायता (Extended Fund Facility) की पहली किश्त के रूप में $1 बिलियन नकद दिए गए।
- विश्व बैंक ने पाकिस्तान को $40 बिलियन के निवेश/अनुदान सहायता प्रदान करने का एक 10‑वर्षीय Country Partnership Framework (CPF) तैयार किया है, जो 2026 से 2035 तक लागू होगा।
- एशियाई विकास बैंक (ADB) ने ₹6861 करोड़ की सहायता दी।
- इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक ने 2023 में $4.2 बिलियन की सहायता दी।
- अमेरिका ने F-16 के रखरखाव के लिए $400 मिलियन की सहायता दी।
- इंग्लैंड ने £133 मिलियन की सहायता दी।
- यूरोपीय संघ ने €15 मिलियन की मानवीय सहायता दी।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान:
- चीन ने सैटेलाइट इमेजरी और साइबर टूल्स से पाकिस्तान को समर्थन दिया।
- 80% से अधिक सैन्य आयात और सस्ते कर्ज दिए।
- 40 नवीनतम J-35A लड़ाकू विमान लगभग मुफ्त में दिए।
- तुर्की ने 27 अप्रैल 2025 को छह C-130 हरक्यूलिस विमानों के ज़रिए हथियार भेजे।
- चीन, तुर्की, कतर, कुवैत और मलेशिया ने पाकिस्तान के पक्ष में खुला समर्थन दिया।
यह सब एक ऐसे व्यक्ति के 11 वर्षों में 78 देशों के सैकड़ों दौरे और खुद को विश्वगुरु घोषित करने के बावजूद हो रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर युद्ध में हारने के बावजूद पाकिस्तान में विजय जुलूस निकल रहे हैं, और हमारा विजयी विश्वगुरु मुंह छिपाए घूम रहा है, यह तक नहीं बता पा रहा कि हमारे कितने विमान मार गिराए गए।
और हम मुसलमानों का क्या? पाकिस्तान को गाली देना ही हमारी देशभक्ति का प्रमाण है। कोई खान सर पाकिस्तान के नक़्शे को कुत्ते की शक्ल बताए, कोई जावेद अख्तर उसे नरक से बदतर कहे, भक्त इसी में खुश हो जाते हैं…
पाकिस्तान के नक़्शे को कुत्ते की शक्ल बताने वाले लोग यह भी समझते हैं कि पाकिस्तान कई बार कुत्ते जैसी हरकतें करता है, कभी अमेरिका के पीछे दुम हिलाता है, तो कभी चीन के इशारों पर भौंकता है। यही वजह है कि बड़ी ताक़तें उसे लोभ देकर इस्तेमाल करती हैं, जैसे कोई कुत्ते को रोटी का टुकड़ा फेंककर अपना काम निकलवा लेता है। पाकिस्तान के लिए यह अपमानजनक सच्चाई है कि वह खुद की संप्रभुता को गिरवी रखकर अमेरिका, चीन और अरब देशों का सिर्फ एक औज़ार बनकर रह गया है।
आज जब ईरान और इस्राइल के बीच तनाव है, अमेरिका एक बार फिर पाकिस्तान को गहराई में घुसाने के लिए मोहरा बना रहा है। पाकिस्तान, जो खुद किसी भी स्थायी नीति से वंचित है, बाहरी शक्तियों के हाथों की कठपुतली बनकर सिर्फ अपने अस्तित्व की भीख मांग रहा है।