पाकिस्तानी महिला से निकाह करने के कारण सेवा से बर्खास्त किए गए सीआरपीएफ जवान मुनीर अहमद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से न्याय की मांग की है। मुनीर ने मीडिया से बातचीत में दावा किया कि उन्होंने विभाग को समय रहते सभी जानकारी दी थी, फिर भी उन्हें नियमों का पालन करने के बावजूद नौकरी से निकाल दिया गया।
बचपन में तय हुआ रिश्ता, 2024 में ऑनलाइन निकाह
मुनीर ने बताया कि उनकी पत्नी मीनल, उनके मामू की बेटी हैं, जिनका परिवार 1947 के भारत-पाक विभाजन के समय पाकिस्तान चला गया था। परिवार की सहमति से यह निकाह पहले से तय था, और 2024 में ऑनलाइन सम्पन्न हुआ। उनके पिता कैंसर से पीड़ित थे और वीजा में देरी हो रही थी, इसलिए ऑनलाइन निकाह का फैसला लिया गया।
समय पर विभाग को दी थी जानकारी
सीआरपीएफ जवान ने कहा कि दिसंबर 2022 में उन्होंने विभाग को निकाह की सूचना दी थी और NOC के लिए आवेदन किया था। सभी आवश्यक दस्तावेज उन्होंने समय पर जमा किए। 13 मार्च 2025 को मीनल को लॉन्ग टर्म वीजा (LTV) भी मिल गया था।
आतंकी हमले के बाद बदला माहौल
22 मार्च 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद सरकार ने वीजा पर आए पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने के आदेश दिए। हालांकि LTV धारकों पर कोई सीधी रोक नहीं थी, फिर भी मीनल को एग्जिट परमिट थमा दिया गया। मुनीर कोर्ट पहुंचे और कोर्ट ने मीनल को भारत में रहने की अनुमति दे दी।
कोर्ट से राहत, फिर भी बर्खास्तगी
कोर्ट से राहत मिलने के कुछ ही दिन बाद, 3 मई को मुनीर को सेवा समाप्ति का नोटिस थमा दिया गया। विभाग का कहना है कि उन्होंने समय पर जानकारी नहीं दी, जबकि मुनीर ने इसके उलट प्रमाण प्रस्तुत किए हैं।
मेरे पासपोर्ट पर ऐसी मुहर लगाओ कि मैं पाकिस्तान न लौट सकूं
मुनीर ने बताया कि उनकी पत्नी मानसिक रूप से टूट चुकी हैं। उन्होंने कहा, “मीनल ने मुझसे कहा कि मेरे पासपोर्ट पर ऐसी स्टांप लगाओ कि मैं फिर कभी पाकिस्तान न जा सकूं, लेकिन मुझे मेरे पति से अलग मत करो।”
मैंने देश की सेवा की है, मुझे भी इंसाफ चाहिए
उन्होंने कहा, “मैंने जम्मू-कश्मीर और छत्तीसगढ़ में तैनात रहकर देश की सेवा की है। पहलगाम हमला निंदनीय है। मैं एक जवान हूं और मुझे भी दर्द होता है। आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन मेरे साथ अन्याय न हो।”