ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय वायुसेना ने जब पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को तबाह किया, तो दुनिया ने देखा कि भारत ने आतंक के खिलाफ कैसे निर्णायक कदम उठाया। इस बड़ी कार्रवाई की जानकारी विदेश सचिव विक्रम मिस्री, विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी ने मिलकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी। कर्नल सोफिया ने इसे पहलगाम हमले के पीड़ितों को इंसाफ दिलाने की कोशिश बताया।
कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की सिग्नल कोर की सीनियर अफसर हैं और वो भारत की पहली महिला सैन्य अधिकारी हैं जिन्होंने किसी इंटरनेशनल मिलिट्री एक्सरसाइज में भारतीय टुकड़ी की कमान संभाली थी।
शुरुआत और पढ़ाई
वडोदरा, गुजरात में जन्मीं सोफिया को सेना का अनुशासन अपने परिवार से विरासत में मिला। उनके पिता और दादा, दोनों ही आर्मी में रह चुके हैं। उन्होंने महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी से बायोकेमिस्ट्री में मास्टर्स किया और पीएचडी शुरू कर दी थी। लेकिन जब उन्हें सेना में मौका मिला, तो उन्होंने सब कुछ छोड़कर देश सेवा को चुना।
सेना में सफर और बड़ी जिम्मेदारियाँ
1999 में शॉर्ट सर्विस कमीशन के ज़रिए वो भारतीय सेना की सिग्नल कोर में शामिल हुईं। 2006 में वो यूनाइटेड नेशंस के पीस मिशन के तहत कांगो गईं और वहां छह साल तक तैनात रहीं। उन्होंने युद्ध विराम पर नजर रखी और मानवीय कामों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
2016 में वो Force 18 नाम की एक मल्टीनेशनल मिलिट्री एक्सरसाइज में भारतीय टुकड़ी की कमान संभालने वाली पहली महिला बनीं। इस एक्सरसाइज में अमेरिका, चीन, जापान, रूस, ऑस्ट्रेलिया समेत 18 देश शामिल थे।
सम्मान और पहचान
पंजाब बॉर्डर पर ऑपरेशन पराक्रम के दौरान शानदार काम के लिए उन्हें GOC-in-C प्रशंसा पत्र मिला। पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ राहत कार्यों में उनकी भूमिका के लिए उन्हें Signal Officer-in-Chief कमेंडेशन कार्ड से भी नवाजा गया। उनकी लीडरशिप को जनरल बिपिन रावत ने भी खूब सराहा था, जब वे साउदर्न कमांड के हेड थे।
परिवार और प्रेरणा
कर्नल सोफिया की शादी भी सेना में सेवा दे रहे मेजर ताजुद्दीन कुरैशी से हुई है, जो मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री में हैं। उनके एक बेटा है। परिवार वाले बताते हैं कि सोफिया अब सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि पूरे देश की बेटियों के लिए एक रोल मॉडल बन चुकी हैं। उनकी भतीजी ज़ारा भी अब आर्मी में जाने का सपना देख रही है।